मातृभाषा का विलुप्त होते जाना बहुत चिंता का विषय, बचाना हम सब कि जिम्मेदारी - डॉ अलंग


समाचार 21 February 2024 (43)
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छत्तीसगढ़ी भाषा


अंतराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस

एम ए छत्तीसगढ़ी छात्र संगठन द्वारा अंतराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का आयोजन सिविल लाइन्स स्थित विन्दावन हाल ने आयोजित विषय महतारी भाषा मे पढ़ाई - लिखाई और रोजगार को लेकर किया गया.


कार्यक्रम मे आईएएस व संभागांयुक्त डॉ संजय अलंग ले इस दिवस पर प्रकाश डालते हुए मातृभाषा के साथ कैसे इतर भाषा लोक व्यवहार व बोलचाल मे जुडी होती है इसके बारे मे बताया जैसे रेलगाड़ी ये दो शब्दो से मिलकर बना हैं रेल अंग्रेजी गाड़ी हिंदी ऐसे ही अनंत शब्द है जो कि एक दूसरे से जुड़कर लोक व्यवहार मे जुड़े होते है इसके साथ ही विलुप्त होते जा रही मातृभाषायो पर भी चिंता जाहिर किया कि आखिर क्यों स्थानीय बोली भाषा विलुप्त होते जा रही है इसको कैसे सहेजा जा सकता है मातृभाषा का संरक्षण हम सब कि जिम्मेदारी है . दूसरे वक्ता के रूप मे विधायक सरायपाली श्रीमति चतुरी नन्द ने छत्तीसगढ़ी भाषा के उपर अपनी बात रखते हुए कहा कि यह भाषा अत्यंत ही समृद्ध और बहुत मीठी भाषा है इस भाषा का स्कूलों मे पढ़ाई लिखाई के साथ, एम ए छत्तीसगढ़ी डिग्रीधारियों को रोजगार कि व्यवस्था सरकार को शीघ्र करनी चहिये.चुकी मै इस भाषा के बदौलत विधानसभा मे चुन के आई हू तो सबले पहली प्रथमिकता इस भाषा को उसका पूरा सम्मान दिलाना है. राजभाषा छत्तीसगढ़ी तो बन गई है पर यह भाषा सिक्छा, कामकाज और रोजगार कि भाषा अब तक नही बन पाई है इसलिए इस भाषा को स्थापित करवाना मेरी पहली प्राथमिकताहै मेरी जिंदगी छत्तीसगढ़ी भाषा के लिए हमेशा समर्पित रहेगी. मातृ भाषा से बच्चो का सवागिड़ विकास होता है इसलिए मातृ भाषा कि सिक्छा बच्चो को दी जानी चाहिए.

भाषाविद डॉ चितरंजन कर ने भाषा उपर बात करते हुए कहा कि भाषा दो तरह कि होती है ज्ञानी और अज्ञानी. अज्ञानी जो भाषा को जानता है पर भाषा के बारे मे नही जानता और ज्ञानी वह जो दोनों के बारे मे जानकर होता है. साहित्यकार डॉ परदेशी राम वर्मा ने छत्तीसगढ़ी भाषा मे सरकार के उपर बात कहते हुए कहा कि जो सरकार इसे दरकिनार करेगी भाषा के संग गद्दारी करेगी वह सरकार खुद सत्ता से बाहर हों जायेगी.छत्तीसगढ़ी भाषा मे पढ़ाई लिखाई के साथ रोजगार कि व्यवस्था शासन को करनी चाहिए तभी मातृ भाषा और समृद्ध हो पायेगी.

एम ए छत्तीसगढ़ी छात्र संगठन के अध्यक्ष ऋतुराज साहू ने आज के दिन के विषय मे कहा कि कैसे बंग लोग अपनी मातृभाषा को स्थापित करने आज ही के दिन 1952 मे ढाका मे भाषाई लड़ाई लड़े और शहादत हुए कैसे उनके भाषाई आजादी को कुचलने पाकिस्तान दुवारा वहा के 16 आंदोलनकरियो पर उनकी आवाज को दबाने के लिए गोली चलाई गईउनकी भसाई शहादत के दिन को याद करते हुए यूनेसको दुवारा 21 फ़रवरी वर्ष 1999 को अंतराष्ट्रीय मातृभाषा के रूप मे घोषित किया. अन्य वक्ता लता राठौर, रेखा जलछत्री, रामेश्वर शर्मा, अशोक तिवारी ने भी छत्तीसगढ़ी भाषा को सिक्छा मे लागू करने और छत्तीसगढ़ी भाषा के विकाश को लेकर प्रमुखता से बात कही. कार्यक्रम कि शुरूवात छत्तीसगढ़ महतारी कि आरती और राजगीत अरपा पैरी के साथ किया गया. कार्यक्रम मे प्रमुख रूप से पत्रकार ग़ुलाल वर्मा, जयंत साहू, परमान्दवर्मा, इंद्रदेव, अजय पटेल, संजीव साहू, हितेश तिवारी पूजा पगहनिया,फ़िल्मी गीतकार गिरवर दास मानिकपुरी के साथ ही एम ए छत्तीसगढ़ी डिग्रीधारियो केसैकड़ो छात्र के आलवा साहित्यकार, भाषाप्रेमी लोगो का जुड़ाव रहा.


अगुवा छत्तीसगढ़ी

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